Friday, January 13, 2012

विस्थापन


तुम्हारे वह ख़त

जो घर से जाते जाते

रह गए थे वहीँ

सुना है उन को पढने के बाद

कई लोगों ने

बन्दूक उठाने से तौबा की है !

उन खतों की बगल मैं रखी

वह तुम्हारी एल्बम जाने क्या हुई

पर सुना है अब शहर मैं

खून बहना कुछ कम हुआ है!

~प्राणेश १४.०१.२०१२

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