Sunday, March 11, 2012

कहानी


एक कहानी छोटी सी



रानी हमारे घर काम करती थी! समय के साथ साथ घर का हिस्सा हो गयी थी! रानी का पति हर शाम दारू पी कर आता और रानी को पीटता ! दूसरे दिन उस का चेहरा उस की कहानी बता देता ! एक ऐसे दिन मैं गुस्से में आया , रानी के पति को पकड़ा और दे मारे दो चार!

दूसरे दिन देखा रानी नहीं आयी थी! दरवाज़े के सामने हमारा बहुत पहले रानी को दिया टीवी रखा था ! एक पन्ने पर लिखा था! क्यूं मारा मेरे पति को! क्या बिगाड़ा था तुम्हारा! उस के बाद रानी हमारे घर का हिस्सा नहीं रही!




चतुर कौवा

प्रफुल्ला नागरी

कहते हैं एक कौआ था और प्यासा भी था! एक घड़ा था और पानी से भरा था! कौवे ने घड़े को देखा और सोंचा यह घड़ा भरा हुआ क्यूं! यह तो आधा भरा होना चाहिए! अब मेरी कहानी का क्या होगा?कौवे ने सोंचा कुछ अलग करता हूँ! कंकर भर देता हूँ घड़े में और पानी को बहने देता हूँ! कौवा कंकर भरता गया पानी बहता गया! कुछ इधर फैला कुछ उधर! धीरे धीरे घड़ा कंकरों से भर गया और पानी बहुत नीचे चला गया! कौवा चोंच डालने लगा पर कंकर उस की चोंच जाने ना दें और पानी, वह तो बहुत नीचे था! इस कहानी का कौवा प्यासा ही रहा पर हाँ कुछ कर तो दिया उसने!

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