सफ़र एक बूंद का
चलो चलते हैं वहाँ
स्वप्न भीग नहीं जाते जहां ,
मंज़िलूँ की दूरी क़दमों के निशान से
नापी नहीं जाती जहां !
जहां धरती और आकाश
अलग अलग दिखते नहीं
और हर मौड़ पर धड़कते दिल
सांसूं से आलिन्गंबध हैं जहां!
मन्दिरूं की मूर्तियूं से निकल कर
आनंद ह्रदय की गरमाहट मैं
आनंद ह्रदय की गरमाहट मैं
बस चुका है जहां
मृत्यु का भय नहीं है जहां!
जहां वादे निबाहने के लिए
कसमें नहीं खानी पड़ती
प्रेम की व्याख्या नहीं करनी पड़ती
रिश्ते दोहराने नहीं पड़ते जहां!
चलो उस जगह सुख के कुछ पल
दागों मैं नहीं बांदने पड़ते जहां !
जहां मौसमूं के बदलने से
फूल मुरझा नहीं जाते
पेड कविता करते हैं
और हरियाली गुनगुनाती है जहां !
जहां सब कुछ शरू होता है
और हर एक का अन्त निश्चित है जहां
चलो वहाँ, सत्य को निर्भयता का
प्रतीक माना जाता है जहां
अनर्थ का अर्थ
मन की मर्यादा नहीं है जहां !
जहां काया की लीला
निर्वान का स्वरुप नहीं
अग्नि के साक्षी पल
बहस का मुद्दा नहीं हैं जहां
जहां वासना और अहंकार
शिशु से उस का कौर नहीं छीनती
चलो हम भी चले वहाँ !
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