बाढ़
तब मेरे शहर मैं आग लगी थी
सड़क सड़क खून के दब्बे
गली गली चीखें
कहीं इस का खून
कहीं उस का खून
फिर मेरे शहर मैं बाढ़ आयी
गली गली सड़क सड़क
बस पानी ही पानी
खून के दब्बे मिट गए
चीखें दब गयीं
उस ने कहा
आगे मत जा पानी है
यह बोला
पीछे हट पानी है
जाने बाढ़ का क्या धर्म था
मैं अपने आप से पूछता रहा
क्या ऐसा नहीं हो सकता
कि मेरे शहर से बाढ़ जाये ही नहीं!
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