Tuesday, January 8, 2013

हत्या अनिवार्य थी।

 
human adult footprint in the fine sand at the beach Stock Photo - 9302159
तपती हुई रेत के बीच
धंसते हुए पाऊँ के निशान
दूर बहुत दूर तक साथ चले
और ज़िन्दगी पिगलती रही
कतरा कतरा बरसती रही
पर भीग नहीं पाया कोई निशान,
मैं हारा , हारता गया
मैं चीखा था, कर्राहा भी था मैं,
पर धरती रंग खेल रही थी
और एक हत्या अनिवार्य थी।
मैंने कहा था मैं क्यूं
और तुम ने इतना भर कहा
मान बड़ा रहे हैं तुम्हारा
शहीद कोई भी हो सकता है।
फिर मेरी तस्वीर दीवार पर चडी
और तुम ने आते जाते पूछ लिया
कैसे हो तुम?
अब भला तुम ही बताओ
क्या तस्वीरें बातें करती हैं
या फिर क्या दीवारें बोलती हैं?
तुम अपनी भी हालत देखो
क्या दीवारों से बातें करते हैं?
~प्राणेश नागरी -08.01.2013.