Thursday, November 24, 2011

विस्थापन


विस्थापन
मेरी माँ कहती है
वहाँ चिता की आग ठंडी होगी
मेरी पत्नी कहती है
सेब खाऊंगी तो अपने आँगन के
मेरे बेटे को याद ही नहीं
उस का स्कूल कैसा था
मेरे कुछ दोस्त
मार डाले गए
कुछ अनजानी बीढ़ मैं
दौड़ते दौड़ते मर गए
और कुछ हर दिन
एक नयी मौत मर रहे हैं
मेरी माँ दीवारूं से बातें करती है
मेरी पत्नी रुंधे गले से "बोम्बरो " गाती है
मेरे बेटे का सब कुछ लुट चुका है
एक दिन हम सब ख़तम हो जायेंगे
और हमारी कागज़ पर लिखी कहानी
रद्दी के भाव बिक जाएगी
हाँ मेरे दोस्त
सच कहा था तुम ने
मुझे क्या बुरा था मरना
अगर एक बार होता!

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