Friday, November 30, 2012

 
 
 
 
 

                                 (Photograph courtsey Girls Guide To Survival)

मेरे साए जब टेढ़े मेढ़े हो जाते है
घबरा कर अंग अंग टटोलता हूँ मैं।
धूप की लकीर के उस पार
यादों की दीवार से टेक लगाये
तुम अक्सर मिलती हो मुझे
और कहती हो ,हाँ सोंच लिया मैंने
मौसमों से क्या डरना
चलो चलें सूखे पत्तों के बीच
खुद को एहसास दिलायें
कि अभी भी जी रहे हैं हम।
तुम्हारा पिघलता अस्तित्व देख
मैं मुस्कुरा देता हूँ
मेरी भुजाएं बांस की सही
आकाश से चाँद उतार तह लगा लेता हूँ
और फटे पुराने झोले में रख
तुम से कहता हूँ
मेरी भूख सदियों पुरानी है
और तुम्हारी मुस्कान नयी नवेली
अब जाते जाते ना मुस्कुराना
इस मिट्टी में किसी बीज के
अंकुरित होने की आशा नहीं मुझे
हाँ मैं जीतने से डरता हूँ
क्यूंकि अक्सर मैं जीत के हारता हूँ।
~प्राणेश नागरी- 27.11.2012

2 comments:

  1. हाँ मैं जीतने से डरता हूँ
    क्यूंकि अक्सर मैं जीत के हारता हूँ...

    और हार कर भी जीत का सा नशा रहता है ..

    कैदी सा चाँद -- खूबसूरत और मासूम
    लाजवाब तस्वीर ..

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    1. Thanx a lot. This picture is from a ver dear friend.

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