Thursday, January 12, 2012

प्रार्थना


प्रार्थना


दुःख देना या सुख देना

जो भी देना बस दे देना!

रात गुज़ारूँ मन की छत पर

दिन पलकन पर रख देना

सुबह को भूला भटका रखना

शाम को मेरा घर देना!

पाऊँ को देना ज़ख्म हज़ारूं

आंखूं को आंसू देना

अमृत देना वाणी मैं और

सीने मैं इक दिल देना!

पथ मैं कांटे ही कांटे हों

चलने की हिम्मत देना

साँसों की सरगम पहचानूं

मुझ को बस यह वर देना!

सत्य कहूं सुनूं और जी लूं

इतना बल कौशल देना

जाने की जब बेला हो तो

मुस्कान भरा चेहरा देना!
दुःख देना या सुख देना

जो भी देना बस दे देना!

~प्राणेश -१२.०१.२०१२

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