मदर्स डे
अचानक
सब बच्चे बहुत अच्छे हो जाते हैं,
अचानक
सब की माँ भगवान हो जाती है,
अचानक
बचपन की तस्वीरें अच्छी लगने लगती हैं,
फिर
एक और दिन आता है,
और अचानक
सब अपने अपने काम में जुट जाते हैं,
और माँ अकेली हो जाती है,
फिर माँ इन्तिज़ार करती है
पूरा एक साल।
~ प्राणेश नागरी -
(Photo from free pictures on Google)
कविता बहुत सामयिक है
ReplyDeleteपर रिश्ते एक दिन में यहाँ तक नहीं पहुँचते
हम से ही कहीं ग़लती हो गयी ऐसी पीढ़ी बड़ी करने में
रही सही कसर पूंजीवादी दिवसों ने पूरी कर दी.
Peace,
Desi Girl
Every Mother's Day I read this poem it feels more relevant than ever. Wish relationships were like those in the scriptures, movies and glossy magazines devoid of all human frailties then moms could be like siri completing our sentences and emotional voids alike.
ReplyDeleteDesi Girl